Raid 2 Review : भ्रष्टाचार पर करारा वार, फिर लौटे Ajay Devgn

Raid 2 Movie Review

साल 2018 में रिलीज हुई अजय देवगन की फिल्म “Raid” ने ईमानदारी और भ्रष्टाचार के बीच की लड़ाई को जिस तरीके से पर्दे पर उतारा था, उसने दर्शकों के दिल में एक खास जगह बना ली थी। अब 7 साल बाद, “Raid 2” उसी कहानी की विरासत को आगे बढ़ाते हुए और भी ज़्यादा ताकतवर तरीके से वापसी करती है।

इस फिल्म में एक बार फिर अजय देवगन (Ajay Devgn), ईमानदार इनकम टैक्स ऑफिसर अमय पटनायक (Amay Patnaik) की भूमिका में नजर आते हैं, जो भ्रष्ट सिस्टम के खिलाफ अकेले खड़े हो जाते हैं। आइए जानते हैं कि क्या वाकई “Raid 2” अपने पहले भाग से बेहतर साबित होती है या नहीं।

Raid 2 Story (रेड 2 की कहानी)

“Raid 2” की कहानी वहीं से शुरू होती है, जहां पहली फिल्म खत्म हुई थी। अमय पटनायक, जो पहले रमेेश्वर सिंह के घर पड़े ऐतिहासिक रेड के लिए जाने जाते हैं, अब भ्रष्टाचार के आरोपों में फंसकर ट्रांसफर हो जाते हैं। उन्हें जिस नए इलाके में भेजा जाता है, वो अपराध मुक्त नजर आता है, लेकिन अमय को यह सब “कुछ ज़्यादा ही अच्छा” लगता है।

जैसे-जैसे वो गहराई से जांच करना शुरू करते हैं, उन्हें यहां के ताकतवर नेता दादा मनोहर भाई (रितेश देशमुख) पर शक होता है। जांच आगे बढ़ती है, सबूत मिलते हैं और एक बार फिर शुरू होता है रेड का प्लान।

कहानी की ताकत

Raid 2 की सबसे बड़ी ताकत है इसका स्क्रीनप्ले और कहानी में बुनावट। हर किरदार के पीछे कोई ना कोई रहस्य छुपा है, जो दर्शकों को अंत तक बांधे रखता है।

पहले हाफ की बात करें तो फिल्म एकदम टाइट है – थ्रिल, ड्रामा, इन्वेस्टिगेशन और राजनीति सब कुछ एकदम संतुलन में नजर आता है। हालांकि सेकेंड हाफ की शुरुआत थोड़ी धीमी हो जाती है, लेकिन फिनाले तक फिल्म दोबारा रफ्तार पकड़ती है और एक दमदार अंत देती है।

गाने और एडिटिंग

जहां पहली फिल्म की सबसे बड़ी खूबी इसका टाइट स्क्रीनप्ले था, वहीं Raid 2 में यह थोड़ी ढीली नजर आती है। खासकर गानों की मौजूदगी इस फिल्म की गति को धीमा कर देती है। कहानी के बीच जब-जब गाने आते हैं, वो न केवल मूड खराब करते हैं बल्कि फिल्म की गंभीरता को भी हल्का करते हैं।

अगर इन गानों को हटाकर फिल्म को 15-20 मिनट छोटा कर दिया जाता, तो इसका प्रभाव कहीं ज़्यादा गहरा होता।

अजय देवगन और रितेश देशमुख की दमदार टक्कर

अजय देवगन हमेशा की तरह इस बार भी अपने कैरेक्टर में डूबे हुए नजर आते हैं। उनकी आंखों की शांति और भीतर छुपा हुआ गुस्सा – दोनों को उन्होंने बेहतरीन तरीके से निभाया है। अमय पटनायक इस बार और भी बड़े चैलेंज का सामना करते हैं, और अजय उस दबाव को बखूबी स्क्रीन पर लेकर आते हैं।

रितेश देशमुख पहले हाफ में बहुत दमदार हैं, लेकिन सेकेंड हाफ में उनका परफॉर्मेंस थोड़ी एकरसता में चला जाता है। उनके किरदार को और भी तीखा और चैलेंजिंग दिखाया जा सकता था।

डायरेक्शन और प्रोडक्शन

फिल्म का निर्देशन तकनीकी तौर पर मजबूत है। सिनेमैटोग्राफी, बैकग्राउंड स्कोर और लुक एंड फील सबकुछ बहुत प्रफेशनल है। खासकर रेड के सीक्वेंस को जिस रीयलिज्म के साथ फिल्माया गया है, वो देखने लायक है।

क्या आपको यह फिल्म देखनी चाहिए ?

अगर आपने पहली Raid देखी थी और आपको वो पसंद आई थी, तो “Raid 2” को मिस करना एक गलती होगी। ये फिल्म आपको सच्चाई, ईमानदारी और सिस्टम के खिलाफ अकेले खड़े होने की हिम्मत की याद दिलाएगी।

अगर आप पहली फिल्म नहीं देख पाए हैं, तो पहले उसे देखिए – ताकि Amay Patnaik का किरदार और उसका सफर आपके लिए और प्रभावशाली बन सके।

रेटिंग और निष्कर्ष

रेटिंग: 3.5/5 स्टार

पॉजिटिव्स:

दमदार कहानी और स्क्रीनप्ले

अजय देवगन की शानदार परफॉर्मेंस

भ्रष्टाचार के खिलाफ एक और प्रेरणादायक लड़ाई

नेगेटिव्स:

गानों की अनावश्यक मौजूदगी

सेकेंड हाफ में थोड़ी गिरावट

थोड़ी लंबी फिल्म

Raid 2″ भ्रष्टाचार और राजनीति की परतें खोलती एक सशक्त फिल्म है, जो आपके भीतर छिपे ईमानदार नागरिक को जगाएगी। इस फिल्म को एक मौका जरूर दीजिए – अजय देवगन एक बार फिर साबित करते हैं कि सच्चाई की लड़ाई कभी बेकार नहीं जाती।

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