Rohini Godbole Death
भारतीय विज्ञान क्षेत्र में महिलाओं की समान भागीदारी के पक्ष में एक सशक्त आवाज और Famous Indian physicists women प्रख्यात भौतिक विज्ञानी प्रोफेसर रोहिणी गोडबोले का 71 वर्ष की आयु में निधन हो गया। पद्मश्री से सम्मानित गोडबोले भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc), बेंगलुरु में उच्च ऊर्जा भौतिकी केंद्र से पिछले 25 वर्षों से जुड़ी थीं। सेवानिवृत्ति के बाद, 2018 से वह मानद प्रोफेसर के रूप में कार्यरत थीं।
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Rohini Godbole की असमय मृत्यु पर PM Modi ने शोक व्यक्त किया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने X पर साझा संदेश में यह कहा -“रोहिणी गोडबोले जी के निधन से गहरा दुःख हुआ। वह एक अग्रणी वैज्ञानिक और नवप्रवर्तक थीं, जो विज्ञान के क्षेत्र में महिलाओं की अधिक भागीदारी की मजबूत समर्थक भी थीं। उनके शैक्षणिक प्रयास आने वाली पीढ़ियों को मार्गदर्शन देते रहेंगे। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति मेरी संवेदनाएँ।
उनके निधन पर वैज्ञानिक समुदाय ने भी शोक व्यक्त किया। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने उन्हें एक “उत्कृष्ट शिक्षक” और “विज्ञान में महिलाओं के अधिकारों के लिए मुखर आवाज” के रूप में याद किया। आईआईएसईआर पुणे की प्रोफेसर विनीता बाल ने बताया कि गोडबोले केवल भौतिकी तक ही सीमित नहीं थीं, बल्कि विज्ञान के सभी क्षेत्रों में महिलाओं के लिए अपनी चिंता व्यक्त करती थीं। प्रोफेसर शुभा टोले ने गोडबोले को एक ऐसी नेता के रूप में याद किया जो अपने विचारों को स्पष्ट रूप से व्यक्त करती थीं।
Rohini Godbole biography : प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
पुणे में जन्मी Indian women scientist रोहिणी गोडबोले की शैक्षणिक यात्रा बहुत प्रेरणादायक रही। उन्होंने एसपी कॉलेज और आईआईटी बॉम्बे से पढ़ाई की और 1979 में उन्होंने अमेरिका के स्टोनी ब्रुक्स यूनिवर्सिटी से पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। गोडबोले एक बेहतरीन शिक्षक भी थीं और उनका वैज्ञानिकों की नई पीढ़ियों के साथ जुड़ाव गहरा था।
Rohini Godbole Physicist : भारतीय विज्ञान में महिलाओं के लिए एक मजबूत आवाज
Women in science India Rohini Godbole रोहिणी गोडबोले महिलाओं की समानता की पक्षधर थीं और उन्होंने विज्ञान में महिलाओं के साथ होने वाली भेदभावपूर्ण चुनौतियों के खिलाफ हमेशा आवाज उठाई। उन्होंने भारत में विज्ञान के क्षेत्र में महिलाओं की भूमिका को बढ़ावा देने के लिए कई पैनल चर्चाओं में हिस्सा लिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उनकी प्रशंसा करते हुए सोशल मीडिया पर कहा कि गोडबोले का योगदान आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्त्रोत रहेगा।
Rohini Godbole and gender equality in science
विज्ञान में लिंग भेदभाव पर Rohini Godbole का दृष्टिकोण : प्रोफेसर गोडबोले ने अकादमिक संस्थानों में भेदभावपूर्ण नीतियों पर खुलकर अपनी बात रखी। उन्होंने कई बार इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे विज्ञान और शिक्षा क्षेत्र में महिला उम्मीदवारों की योग्यता को अक्सर नजरअंदाज किया जाता है। डॉ. रितेश के सिंह, आईआईएसईआर कोलकाता में प्रोफेसर और गोडबोले की पीएचडी की छात्र, ने बताया कि गोडबोले हमेशा ‘छिपे हुए पूर्वाग्रहों’ की बात करती थीं।
Rohini Godbole contribution to science : ‘लीक पाइपलाइन’ की समस्या पर जागरूकता
गोडबोले ने भारतीय महिला वैज्ञानिकों के करियर में आने वाली बाधाओं को उजागर करने वाली एक महत्वपूर्ण रिपोर्ट ‘आईएनएसए रिपोर्ट: एक्सेस ऑफ इंडियन वीमेन टू करियर्स इन साइंस’ में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। प्रोफेसर शोभना शर्मा ने उनके योगदान की सराहना करते हुए बताया कि गोडबोले हमेशा नीतियों और शोध में गहरी रुचि लेती थीं।
Rohini Godbole Book : महिला वैज्ञानिकों की कहानियाँ: लीलावती की बेटियाँ
गोडबोले का योगदान केवल शोध तक सीमित नहीं था; उन्होंने महिलाओं की प्रेरक कहानियों को भी सामने लाने का कार्य किया। उनकी पुस्तक ‘लीलावती की बेटियाँ’ महिला वैज्ञानिकों के संघर्षों और सफलताओं की कहानियाँ बयां करती है। यह पुस्तक 2008 में प्रकाशित हुई थी और आज भी विज्ञान के क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी पर महत्वपूर्ण मानी जाती है।
Rohini Godbole Achievements : सीईआरएन-इंडिया और अन्य महत्वपूर्ण भूमिकाएँ
गोडबोले ने सीईआरएन-इंडिया समन्वय और संचालन समिति की सदस्य के रूप में भी कार्य किया। इसके अलावा, उन्होंने 2007 से 2013 तक केंद्रीय कैबिनेट की वैज्ञानिक सलाहकार समिति के सदस्य के रूप में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके असाधारण योगदान के लिए उन्हें कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जिनमें पद्मश्री, फ्रांस का ओर्ड्रे नेशनल डू मेरिट और कर्नाटक विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग का लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड शामिल हैं।
प्रोफेसर रोहिणी गोडबोले का जीवन और कार्य भारतीय विज्ञान में महिलाओं की सहभागिता के प्रति समर्पित रहा। उनका योगदान आने वाले समय में विज्ञान के क्षेत्र में महिलाओं के लिए समान अवसर सुनिश्चित करने की दिशा में प्रेरणा का स्रोत बनेगा। भारतीय विज्ञान क्षेत्र में उनकी भूमिका को लंबे समय तक याद रखा जाएगा।