Ganesh Chaturthi 2025 : 16 चरणों वाली पूजा विधि और शुभ योग जो बना देंगे आपका त्योहार खास
गणेश चतुर्थी भगवान गणेश जी की उपासना और आराधना का सबसे प्रमुख पर्व है। इसे विनायक चतुर्थी (Vinayaka Chaturthi) भी कहा जाता है। यह त्योहार हर साल भाद्रपद मास की शुक्ल चतुर्थी को मनाया जाता है। इस दिन गणेश जी की स्थापना कर, विधिवत पूजा-अर्चना की जाती है और यह पर्व 10 से 12 दिनों तक धूमधाम से चलता है। अंत में गणपति बप्पा का विसर्जन किया जाता है।
Ganesh Chaturthi 2025 इस बार 27 अगस्त, बुधवार को मनाई जाएगी। आइए विस्तार से जानते हैं— गणेश चतुर्थी की तिथि, शुभ मुहूर्त, गणेश स्थापना की विधि और 16 उपाचार (Shodashopachara Puja Vidhi)।

Ganesh Chaturthi 2025 Date and Puja Muhurat
गणेश चतुर्थी 2025 की तिथि – 27 अगस्त 2025 (बुधवार)
मध्याह्न गणेश पूजा मुहूर्त (Madhyahna Puja Muhurat) – सुबह 11:05 बजे से दोपहर 01:40 बजे तक
पूजा का सबसे उत्तम समय मध्याह्नकाल माना गया है।
गणेश स्थापना की तैयारी (Preparation for Ganesh Sthapana)
गणेश चतुर्थी की पूजा की शुरुआत गणेश स्थापना (Ganesh Sthapana) से होती है। इसके लिए घर या पूजा स्थल को पूरी तरह शुद्ध और साफ करना आवश्यक है।
गणेश स्थापना विधि :
सबसे पहले पूजा स्थल की सफाई करें।
स्थान को गंगा जल से पवित्र करें।
फूलों, केले के पत्तों और आम के पत्तों से सजावट करें।
गणेश जी की मूर्ति को स्वच्छ, ऊँचे और स्थिर स्थान पर स्थापित करें।
मूर्ति का मुख उत्तर या पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए।
पूजा सामग्री पहले से तैयार रखें – फूल, फल, मिठाई, धूपबत्ती, दीपक आदि।
गणेश चतुर्थी पूजा विधि (Ganesh Chaturthi Puja Vidhi)
गणेश चतुर्थी पर षोडशोपचार पूजा (Shodashopachara Puja) की जाती है। इसमें भगवान गणेश की 16 विधियों से पूजा कर उनके प्रति श्रद्धा अर्पित की जाती है।
पूजा की शुरुआत
दीप जलाकर संकल्प लें।
भगवान गणेश की आराधना पुराणिक मंत्रों के साथ करें।
उसके बाद 16 उपाचार (Shodashopachara) पूरे करें।
गणेश चतुर्थी के 16 उपाचार (16 Steps of Ganesh Chaturthi Puja)
आवाहन (Avahana) – भगवान गणेश का आवाहन।
आसन (Asana) – गणेश जी को आसन अर्पित करना।
पाद्य (Padya) – चरण धोने हेतु जल अर्पित करना।
अर्घ्य (Arghya) – हाथ धोने हेतु जल देना।
आचमन (Achamana) – पीने के लिए जल अर्पित करना।
स्नान (Snana) – गंगाजल, दूध या पंचामृत से स्नान कराना।
वस्त्र (Vastra) – गणेश जी को नए वस्त्र पहनाना (सफेद व काले वस्त्र न चढ़ाएं)।
यज्ञोपवीत (Yajnopavita) – गणेश जी को जनेऊ अर्पित करना।
गंध (Gandha) – चंदन या सुगंध अर्पित करना।
पुष्प (Pushpa) – ताजे फूल अर्पित करना।
धूप (Dhupa) – धूप अर्पित करना।
दीप (Dipa) – दीप प्रज्वलित कर अर्पित करना।
नैवेद्य (Naivedya) – मोदक, लड्डू, फल और मिठाई अर्पित करना।
ताम्बूल (Tambula) – पान और सुपारी अर्पित करना।
प्रदक्षिणा (Pradakshina) – गणेश जी की परिक्रमा करना।
नमस्कार (Namaskara) – प्रणाम कर आशीर्वाद लेना।
घर में गणेश पूजा के विशेष नियम
अगर घर में पहले से धातु या मिट्टी की गणेश प्रतिमा स्थापित है, तो आवाहन और प्रतिष्ठापन की आवश्यकता नहीं होती।
प्रतिमा को विसर्जित करने के बजाय उत्थापन (Utthapana) करना होता है।
नव खरीदी प्रतिमा के लिए प्रतिष्ठा और विसर्जन अनिवार्य है।
गणेश चतुर्थी का महत्व
गणेश चतुर्थी पर भक्त गणपति बप्पा मोरया के जयकारे लगाते हैं।
यह पर्व परिवार और समाज में एकता, खुशी और समृद्धि लाता है।
महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और गोवा में यह पर्व विशेष उत्साह से मनाया जाता है।
विदेशों में भी भारतीय प्रवासी इस पर्व को बड़े उत्साह से मनाते हैं।
Ganesh Chaturthi 2025 Muhurat
गणेश चतुर्थी 2025 का पर्व 27 अगस्त, बुधवार को मनाया जाएगा। इस दिन भक्तगण विधिवत गणेश स्थापना, पूजा विधि और 16 उपाचारों के साथ गणेश जी की आराधना करेंगे। मध्याह्न काल (11:05 से 01:40 बजे तक) का समय सबसे शुभ माना गया है।
भगवान गणेश जी की उपासना से सभी कार्यों में सफलता, घर में सुख-शांति और जीवन में समृद्धि प्राप्त होती है।