IND vs NZ Test : भारतीय क्रिकेट टीम के सीनियर बल्लेबाजों की तरह हेड कोच गौतम गंभीर की भी कड़ी आलोचना हो रही है, खासकर न्यूज़ीलैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज में करारी हार के बाद। रविवार को समाप्त हुए (ind vs nz test) सीरीज में भारत को 3-0 से सफाया का सामना करना पड़ा, जो घरेलू मैदान पर पहली बार हुआ। गंभीर के कोच बनने के बाद यह भारत की दूसरी बड़ी हार है, इससे पहले अगस्त में श्रीलंका के खिलाफ वनडे सीरीज में 0-2 से पराजित हुई थी।
IND VS AUS : ऑस्ट्रेलिया दौरे पर निर्भर गंभीर का भविष्य
एक रिपोर्ट के अनुसार, गंभीर के भविष्य का निर्णय आगामी ऑस्ट्रेलिया दौरे (Australia Tour) पर निर्भर करता है, जहां भारत पांच टेस्ट मैच खेलेगी। यह मुकाबला बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के अंतर्गत होगा, जो भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। भारत पिछले दो ऑस्ट्रेलिया दौरों में विजयी रहा है और इस बार भी वह ट्रॉफी अपने पास बरकरार रखना चाहेगा। साथ ही, वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल के लिए भी भारत को यहां जीत दर्ज करनी होगी। भारतीय टीम के लिए यह जरूरी है कि वह ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एक से अधिक मैच न हारे और सिर्फ एक ड्रॉ के साथ ही फाइनल में पहुंचने का मौका बरकरार रखे।
गंभीर के चयन में भूमिका पर उठे सवाल
रिपोर्ट के मुताबिक, अगर गंभीर ऑस्ट्रेलिया दौरे में असफल रहते हैं, तो बीसीसीआई उनकी पावर में कटौती कर सकती है। उन्हें (Gautam Gambhir) चयन मामलों में ज्यादा स्वतंत्रता दी गई थी, जो उनके पूर्ववर्ती कोच रवि शास्त्री और राहुल द्रविड़ को नहीं मिली थी। गंभीर पर यह आरोप भी लगाया जा रहा है कि उन्होंने न्यूज़ीलैंड के खिलाफ तीसरे टेस्ट (ind vs nz test) में मुंबई की पिच को स्पिनरों के अनुकूल बनाने पर जोर दिया, जबकि पिछले कुछ सालों में भारतीय बल्लेबाज स्पिन के खिलाफ संघर्ष करते नजर आए हैं।
इसके अलावा, कुछ रणनीतिक निर्णयों पर भी सवाल खड़े हुए हैं, जैसे तीसरे टेस्ट के दूसरे दिन मोहम्मद सिराज को नाइट वॉचमैन भेजना और सरफराज खान को पहले इनिंग में नंबर 8 पर खिलाना।
चयन मामलों में गंभीर को मिली थी छूट
BCCI (बीसीसीआई) के नियमों के अनुसार, हेड कोच का चयन मामलों में सीधा हस्तक्षेप नहीं होता, जो शास्त्री के समय से ही विवाद का विषय रहा है। लेकिन ऑस्ट्रेलिया दौरे की गंभीरता को देखते हुए बीसीसीआई ने गंभीर को चयन समिति की बैठक में शामिल होने की अनुमति दी। एक वरिष्ठ बीसीसीआई अधिकारी के अनुसार, “ऑस्ट्रेलिया दौरे के महत्व को देखते हुए गौतम गंभीर को चयन बैठक में शामिल किया गया। यह छूट शास्त्री और द्रविड़ को नहीं मिली थी।”
चयन में गंभीर का प्रभाव
गंभीर के कोच बनने के बाद कई बड़े निर्णय उनके प्रभाव से लिए गए हैं। इनमें से एक प्रमुख निर्णय सूर्यकुमार यादव को हार्दिक पंड्या पर तरजीह देकर भारत के टी20 कप्तान के रूप में चुनना था, जो रोहित शर्मा के टी20 से संन्यास के बाद किया गया।
हाल ही में एक खबर में बताया गया था कि गंभीर ने ऑस्ट्रेलिया टेस्ट सीरीज के लिए हरशित राणा को चयनित करने पर जोर दिया, जबकि उनके पास सिर्फ नौ प्रथम श्रेणी मैचों का अनुभव है। इस फैसले पर कई क्रिकेट विशेषज्ञों ने सवाल खड़े किए हैं। इसके अतिरिक्त, दिल्ली के इस तेज गेंदबाज को भारत ए टीम की बजाय रणजी ट्रॉफी में असम के खिलाफ खेलने और फिर (Indian Team) भारतीय टीम के साथ अभ्यास करने का मौका दिया गया।
गंभीर का मानना था कि हरफनमौला खिलाड़ी नितीश रेड्डी हार्दिक पंड्या का आदर्श विकल्प हो सकते हैं। इसलिए उन्हें भी टीम में शामिल किया गया।
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क्या ऑस्ट्रेलिया दौरा बदल सकता है गंभीर का भविष्य?
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ आगामी टेस्ट सीरीज गौतम गंभीर के करियर और भारतीय टीम की विश्व टेस्ट चैंपियनशिप की संभावनाओं के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। अगर भारत इस सीरीज में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाता, तो गंभीर कोच पद पर बने रहने के लिए मुश्किल का सामना कर सकते हैं।
आखिरी में, भारतीय क्रिकेट में इस समय बदलाव का दौर चल रहा है और गंभीर की भूमिका को लेकर चर्चाओं का सिलसिला जारी है। ऐसे में सभी की नजरें इस बात पर होंगी कि गंभीर अपनी रणनीतियों में सुधार कर पाते हैं या नहीं और ऑस्ट्रेलिया दौरे पर उनका प्रदर्शन कैसा रहता है।
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