Nitish Kumar Reddy Story : भारत के नए टेस्ट शतकवीर का संघर्ष और सफलता की कहानी

Nitish Kumar Reddy Story

भारत के क्रिकेट इतिहास में नितीश कुमार रेड्डी का नाम अब स्वर्णाक्षरों में लिखा जाएगा। हाल ही में, उन्होंने मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड पर अपना पहला अंतरराष्ट्रीय टेस्ट शतक बनाकर सभी का ध्यान आकर्षित किया है । लेकिन नितीश कुमार रेड्डी का इस सफलता तक पहुँचने का सफर आसान नहीं था। नितीश की सफलता में सबसे बड़ी भूमिका निभाई उनके पिता, मुथ्याला रेड्डी ने, जिन्होंने अपने बेटे के क्रिकेट सपने को पूरा करने के लिए कई कुर्बानियाँ दीं।

नितीश का शतक : एक भावुक पल

नितीश का शतक, बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के चौथे टेस्ट मैच के तीसरे दिन खेल के समापन के समय आया । नितीश ने स्कॉट बोलैंड की गेंद पर चौका मार कर अपने शतक को पूरा किया | नितीश के शतक पर उनके पिता मुथ्याला रेड्डी भावुक हो गए, उनकी आंखों में आंसू थे | अपने बेटे के शानदार प्रदर्शन को देखकर उनकी आँखों में खुशी के आंसू आ गए ।

ग्राउंड पर नितीश ने अपना हेलमेट बैट के हैंडल पर रखा और आसमान की ओर देखकर ईश्वर का धन्यवाद किया। जब वे 105 नॉट आउट पर वापस लौट रहे थे, तो पूरी भारतीय टीम ने उन्हें बधाई देने के लिए बाउंड्री रोप्स पर खड़े होकर ताली बजाई, जिसमें कप्तान रोहित शर्मा सबसे आगे थे। यह दृश्य क्रिकेट प्रेमियों के लिए हमेशा यादगार रहेगा।

संघर्ष और बलिदान : नितीश की प्रेरणादायक यात्रा

नितीश कुमार रेड्डी की सफलता के पीछे एक लंबी संघर्ष यात्रा है। वह खुद मानते हैं कि बचपन में वह क्रिकेट को लेकर गंभीर नहीं थे। बीसीसीआई की वेबसाइट पर दिए गए अपने एक वीडियो में नितीश ने बताया, “सच कहूं तो मैं बचपन में क्रिकेट के लिए गंभीर नहीं था। मेरे पिता ने मेरे लिए अपनी नौकरी छोड़ दी थी, और हमारे सामने वित्तीय समस्याएं भी थीं। एक दिन मैंने उन्हें रोते हुए देखा, तो मुझे महसूस हुआ कि अब मुझे गंभीर होना होगा।”

नितीश के पिता, मुथ्याला रेड्डी ने कई कठिनाइयाँ झेली, लेकिन उन्होंने अपने बेटे के सपने को पूरा करने के लिए हर संभव मदद की। उन्होंने नितीश को बेहतर ट्रेनिंग देने के लिए शहर के अच्छे स्टेडियमों में अभ्यास करवाया और उन्हें आगे बढ़ने का प्रेरणा दी।

पहली बड़ी सफलता : विजय मर्चेंट ट्रॉफी

नितीश कुमार रेड्डी की क्रिकेट यात्रा में एक महत्वपूर्ण मोड़ तब आया जब उन्होंने 2016-17 विजय मर्चेंट ट्रॉफी में नागालैंड के खिलाफ 441 रन बनाए और 26 विकेट भी लिए। इस प्रदर्शन ने उन्हें एक बैटिंग ऑलराउंडर के रूप में पहचान दिलाई और क्रिकेट जगत में उनका नाम चमका।

लेकिन उनकी सफलता की राह आसान नहीं थी। पहले वर्ष के दौरान नितीश का प्रदर्शन संतोषजनक नहीं था, और उनके पिता को यह कहा गया कि उनका बेटा अच्छे क्रिकेटर के रूप में उभरने के लिए पर्याप्त नहीं है। हालांकि, नितीश के पिता मुथ्याला ने हार मानने की बजाय नितीश की मदद के लिए और भी कड़ी मेहनत की।

आईपीएल में सफलता और भारतीय टीम में प्रवेश

तीन साल बाद, नितीश कुमार रेड्डी ने आंध्र प्रदेश के लिए अपने पहले क्लासिक क्रिकेट मैच में पदार्पण किया। इसके बाद,उनके शानदार प्रदर्शन ने उन्हें सनराइजर्स हैदराबाद से 2023 में आईपीएल अनुबंध दिलवाया। उन्होंने आईपीएल 2024 सत्र में अपनी कड़ी मेहनत का फल पाया और नियमित खेलने के बाद अपनी बल्लेबाजी से टीम को प्लेऑफ तक पहुंचाया।

नितीश ने अक्टूबर 2024 में बांग्लादेश के खिलाफ T20I मैच में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण किया और इसके बाद उन्हें 6 करोड़ रुपये में सनराइजर्स हैदराबाद से अनुबंध मिला। इस बीच, उन्हें बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के लिए टेस्ट टीम में जगह मिली, जो कि एक बहुत बड़ा मौका था।

नितीश का टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण और सफलता

नितीश कुमार रेड्डी का टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण किसी आश्चर्य से कम नहीं था। हालांकि उन्होंने अपनी बल्लेबाजी से सबको आश्चर्यचकित किया और अब तक चार टेस्ट मैचों में 284 रन बनाए हैं, जिसमें उनका औसत 71.00 है। इस प्रदर्शन ने उन्हें भारतीय टीम के शीर्ष बल्लेबाजों में जगह दिलाई।

यह सफर न केवल नितीश के लिए, बल्कि उनके परिवार के लिए भी गर्व का क्षण था। नितीश की बहन ने कहा, “हम सभी बहुत गर्व महसूस कर रहे हैं। हम इस मैच के लिए ही मेलबर्न आए थे और यह शतक यहीं हुआ। हम सब बहुत चिंतित थे, लेकिन हमें यकीन था कि वह यह शतक जरूर बनाएंगे।”

नितीश का संघर्ष और सफलता : एक प्रेरणा

नितीश कुमार रेड्डी की यात्रा यह साबित करती है कि किसी भी खेल में सफलता पाने के लिए केवल टैलेंट ही नहीं, बल्कि संघर्ष, समर्पण और परिवार का साथ भी जरूरी होता है। उनके पिता की कड़ी मेहनत और नितीश की मेहनत ने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया है।

आज नितीश भारतीय क्रिकेट के नए सितारे बन चुके हैं, और उनका भविष्य उज्जवल दिख रहा है। उनका शतक केवल एक व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं, बल्कि भारतीय क्रिकेट के लिए भी एक नई शुरुआत का प्रतीक है।

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