Sharda Sinha Death : बिहार की कोकिला ने कहा अलविदा,लोक संगीत की अनमोल विरासत शारदा सिन्हा

Sharda Sinha Death News : बिहार कोकिला शारदा सिन्हा का निधन: लोक संगीत के लिए एक अपूरणीय क्षति

प्रसिद्ध लोक गायिका और पद्म श्री सम्मान प्राप्त शारदा सिन्हा, जिनकी आवाज़ बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोगों के दिलों में बसी हुई थी, अब हमारे बीच नहीं रहीं। 5 नवंबर 2024 को दिल्ली के एम्स अस्पताल में उनका निधन हो गया। पिछले कुछ दिनों से वे वेंटिलेटर पर थीं, और उनका इलाज एम्स, दिल्ली में चल रहा था। उनकी मृत्यु की दुखद सूचना उनके बेटे अंशुमान सिन्हा ने अपने आधिकारिक इंस्टाग्राम अकाउंट के जरिए दी।

पारिवारिक संकट और बीमारी से जूझती शारदा सिन्हा

शारदा सिन्हा पिछले कुछ वर्षों से कई स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रही थीं। 2018 में उन्हें मल्टीपल मायलोमा, एक प्रकार के ब्लड कैंसर, का पता चला था। इसके अलावा, उन्हें लिवर की भी समस्या हो गई थी, जिसके चलते उन्हें पहले दिल्ली के ILBS अस्पताल में भर्ती कराया गया था, और फिर एम्स में शिफ्ट किया गया। इस साल के शुरू में उनके पति बृज किशोर सिन्हा का निधन हो गया, जिससे वे भावनात्मक रूप से काफी टूट गई थीं। उनके बेटे अंशुमान सिन्हा ने यूट्यूब चैनल पर लाइव आकर अपनी माँ के बिगड़ते स्वास्थ्य की जानकारी भी साझा की थी और लोगों से उनकी जल्द ठीक होने की कामना करने की अपील की थी।

लोक संगीत में अतुलनीय योगदान

शारदा सिन्हा ने लोक संगीत को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। विशेष रूप से छठ पूजा, शादी-ब्याह और अन्य शुभ अवसरों पर उनके गाए गए गीतों को लोग वर्षों तक याद रखते हैं। बिहार की यह ‘कोकिला’ भोजपुरी, मैथिली, मगही और हिंदी भाषा में अपने संगीत के माध्यम से लाखों लोगों के दिलों पर राज करती रही हैं। उनकी आवाज़ में गाए हुए प्रसिद्ध गीत जैसे “छठी मइया आइ ना दुआरिया,” “कार्तिक मास इजोरिया,” “द्वार चेकाई,” “पटनासे” और “कोयल बिन” सदाबहार बन गए हैं।

प्रसिद्ध बॉलीवुड गानों में शारदा सिन्हा का योगदान

शारदा सिन्हा ने न केवल लोकगीतों के क्षेत्र में अपना नाम कमाया, बल्कि बॉलीवुड में भी अपनी आवाज़ से पहचान बनाई। उन्होंने 1989 में सलमान ख़ान की फिल्म “मैंने प्यार किया” के गीत “कहे तो से सजना” को अपनी आवाज़ दी। इसके अलावा, गैंग्स ऑफ वासेपुर 2 का प्रसिद्ध गाना “तार बिजली से पतले हमारे पिया” भी उनकी आवाज में ही है। उनके गाए गीतों में “कौन सी नगरीया” और “बाबुल” भी शामिल हैं, जो भारतीय सिनेमा में उनके अमूल्य योगदान को दर्शाते हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जताया दुख

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने (Sharda Sinha Death) शारदा सिन्हा के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया। निधन से पहले पीएम मोदी ने उनके स्वास्थ्य की जानकारी लेने के लिए उनके बेटे अंशुमान से बात भी की थी और उनके स्वस्थ होने की कामना की थी।

शारदा सिन्हा का जीवन परिचय : Sharda Sinha Biography

शारदा सिन्हा का जन्म 1 अक्टूबर 1952 को बिहार के सुपौल जिले के हुटहा गाँव में हुआ था। वे लोक संगीत की दुनिया में एक प्रतिष्ठित नाम थीं और “बिहार कोकिला” के रूप में जानी जाती थीं। अपने संगीतमय करियर में उन्होंने कई भोजपुरी, मैथिली, और मगही गीतों को अपने मधुर स्वर से सजाया, जो छठ पूजा, विवाह और अन्य पारंपरिक आयोजनों पर विशेष रूप से गाए जाते हैं। उनकी आवाज़ ने बिहार की सांस्कृतिक पहचान को सशक्त बनाया और उन्हें राज्य की लोक-संस्कृति का प्रतीक बना दिया।

शारदा सिन्हा के प्रसिद्ध गीत : Famous Songs of Sharda Sinha

शारदा सिन्हा ने कई ऐसे गीत गाए हैं जो हर खास मौके पर बजाए जाते हैं। छठ पूजा के दौरान “छठी मइया आइ ना दुआरिया,” “कार्तिक मास इजोरिया,” और “काचे नदिया के” जैसे गीत उनके आवाज में गूंजते हैं। उन्होंने सिर्फ पारंपरिक लोकगीतों में ही नहीं, बल्कि बॉलीवुड में भी अपनी अलग पहचान बनाई।

बॉलीवुड में शारदा सिन्हा के प्रसिद्ध गाने : Sharda Sinha Bollywood Songs

  1. “कहे तो से सजना” – फिल्म मैंने प्यार किया (1989) में सलमान खान और भाग्यश्री पर फिल्माया गया यह गीत आज भी लोकप्रिय है।
  2. “तार बिजली से पतले हमारे पिया”गैंग्स ऑफ वासेपुर 2 का यह गाना उनके व्यक्तित्व को एक नए आयाम पर ले गया।
  3. “कौन सी नगरीया” – फिल्म चार फुटिया छोकरे का यह गाना भी उनके आवाज का एक अनूठा उदाहरण है।

शारदा सिन्हा के पुरस्कार और सम्मान : Awards and Honors of Sharda Sinha

शारदा सिन्हा के योगदान को भारत सरकार द्वारा सम्मानित किया गया है। उन्हें कई प्रतिष्ठित पुरस्कार मिले हैं:

  • पद्म श्री: 1991 में भारत सरकार ने उन्हें इस सम्मान से नवाजा।
  • पद्म भूषण: 2018 में उन्हें इस उच्च सम्मान से विभूषित किया गया।
  • बिहार रत्न और मिथिला रत्न जैसे क्षेत्रीय पुरस्कारों से भी उन्हें सम्मानित किया गया, जो बिहार और मिथिला क्षेत्र में उनके योगदान को सराहते हैं।

शारदा सिन्हा की संगीत शैली और विरासत

शारदा सिन्हा का गायन लोकगीतों की समृद्ध परंपरा का पालन करता है। वे अपनी मातृभाषा में गाते हुए परंपराओं और रीति-रिवाजों को संगीतमय बनाकर लोगों के दिलों में एक स्थायी जगह बना चुकी हैं। उनकी आवाज़ में एक विशेष मिठास और गहराई है, जो श्रोताओं को सीधे अपने गाँव, अपने परिवेश से जोड़ देती है। उनके गीतों में बिहार, झारखंड, और पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोकजीवन की झलक मिलती है।

बिहार की लोकगायिका शारदा सिन्हा का योगदान : Contribution of Sharda Sinha in Folk Music

बिहार और उसके आसपास के क्षेत्रों में शारदा सिन्हा को खासतौर से छठ पूजा और विवाह गीतों के लिए याद किया जाता है। हर साल छठ पूजा के दौरान उनके गीत गूंजते हैं और छठ पूजा का पर्व उनके गीतों के बिना अधूरा सा लगता है। वे एक ऐसी आवाज़ थीं, जिन्होंने बिहार की सांस्कृतिक धरोहर को संपूर्ण भारत में पहचान दिलाई।

उनकी प्रेरणादायक विरासत

शारदा सिन्हा का जीवन और करियर उभरते हुए संगीतकारों के लिए एक प्रेरणा स्रोत है। उनके गीत, उनकी धुनें और उनकी सांस्कृतिक पहचान आने वाली पीढ़ियों के लिए मार्गदर्शक बनी रहेंगी। उनके योगदान को लोक संगीत की दुनिया में सदैव याद किया जाएगा और उनकी आवाज़ आने वाले वर्षों में भी हर त्योहार और हर सांस्कृतिक आयोजन में गूंजती रहेगी।

शारदा सिन्हा की अमर धरोहर

शारदा सिन्हा के जाने से बिहार और पूरे देश में शोक की लहर है। उनकी लोक धुनें और गीत आज भी लोगों के दिलों में बसे हुए हैं और हमेशा बसे रहेंगे। उनकी आवाज़, उनकी प्रस्तुतियाँ, और उनके गीत लोक संस्कृति का अभिन्न अंग बन चुके हैं। छठ पर्व जैसे महापर्व पर उनकी आवाज़ गूंजती रहेगी और उनकी स्मृतियाँ अमर रहेंगी।

शारदा सिन्हा की मृत्यु उनके परिवार और प्रशंसकों के लिए एक बहुत बड़ी क्षति है। उनके बेटे अंशुमान और बेटी वंदना के साथ-साथ, उनके हजारों प्रशंसक उन्हें हमेशा याद करेंगे। संगीत के क्षेत्र में उनका योगदान अविस्मरणीय है, और उनका नाम बिहार की मिट्टी से हमेशा जुड़ा रहेगा।

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लोक गायिका शारदा सिन्हा के पति का क्या नाम है ?

प्रसिद्ध लोक गायिका और पद्म श्री सम्मान प्राप्त शारदा सिन्हा के पति का नाम बृज किशोर सिन्हा है |

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